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GST से जुड़ी इन 7 गलत फहमियों को राजस्व सचिव ने किया दूर, बताई हकीकत

GST से जुड़ी इन 7 गलत फहमियों को राजस्व सचिव ने किया दूर, बताई हकीकत।

✒जेजे राजपुरोहित
     मोदरान न्यूज।

.✍जीएसटी 1 जुलाई से लागू हो चुका है. ऐसे में अब भी कई लोगों में इसे लेकर भ्रम और मिथक हैं. रविवार को राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया ने अपने 🐦ट्विटर के माध्यम से जीएसटी को लेकर फैली गलतफहमियों और मिथकों को दूर करने का प्रयास किया है.🐦 ट्वीट के जरिए उन्होंने लोगों को जीएसटी की वास्तविकता से परिचित करवाया है. 

✍मिथक 1: सभी बिल कंप्यूटर या इंटरनेट के माध्यम से ही बनाने की आवश्यकता होगी!

🔶वास्तविकता: ऐसा जरूरी नहीं है आप बिल वगैरह को मैन्युअली  भी बना सकते हैं. 

✍मिथक 2: जीएसटी के तहत कारोबार करने के लिए हर समय इंटरनेट की जरूरत होगी.

🔶वास्तविकता: आपको सिर्फ महीने के अंत में अपना रिटर्न भरने के लिए इंटरनेट की जरूरत होगी. 

✍मिथक 3: मेरे पास प्रोविजनल आई डी है, लेकिन व्यवसाय शुरु करने के लिए एक फाइनल आई डी की आवश्यकता होगी. 

🔶वास्तविकता: प्रोविजनल आईडी ही आपका जीसटीआईएन नंबर है. इससे आप व्यापार शुरु कर सकते हैं. 

✍मिथक 4: मेरे व्यवसाय को पहले छूट मिली हुई थी. व्यवसाय शुरु करने से पहले तुरंत नया रजिस्ट्रेशन करवाना होगा.
🔶वास्तविकता: आप अपना व्यवसाय जारी रख सकते हैं और 30 दिनों के भीतर पंजीकरण करा हो सकते हैं. 

✍मिथक 5: हर महीने तीन रिटर्न भरने होंगे.

🔶वास्तविकता: रिटर्न एक ही है. इसके तीन भाग है. इसमें पहला भाग डीलर को भरना होगा. जबकि बाकि दो कम्यूटर से ऑटो अपडेट हो जाएंगे. 

✍मिथक 6:  छोटे डीलरों को भी रिटर्न भरते समय हर बिल के हिसाब की जानकारी देनी होगी
🔶वास्तविकता: जो लोग खुदरा व्यापार ( B2C बिजनेस टू कंज्यूमर) में हैं. उन्हें कुल बिक्री का सारांश देना होगा. 

✍मिथक 7: जीएसटी की दर पहले लगने वाले वैट की तुलना में अधिक है.

🔶वास्तविकता: यह आपको ज्यादा लग रहा है क्योंकि इसमें उत्पाद शुल्क और कई अन्य अप्रत्यक्ष कर भी शामिल हो गए हैं, जो आपको पहले नहीं दिखते थे. लेकिन जीएसटी के आने से अब आपको वे भी दिखने लगे हैं.

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