मंत्रालय ने कहा कि अगर फर्जी खबर के मामले प्रिंट मीडिया से संबद्ध हैं तो इसकी कोई भी शिकायत भारतीय प्रेस परिषद( पीसीआई) को भेजी जायेगी और अगर यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबद्ध पाया जाता है तो शिकायत न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन( एनबीए) को भेजी जायेगी ताकि यह निर्धारित हो सके कि खबर फर्जी है या नहीं.
नई दिल्लीः फर्जी खबरों पर अंकुश लगाने के उपाय के तहत सरकार ने सोमवार को कहा कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबरें करता हुआ या इनका दुष्प्रचार करते हुए पाया जाता है तो उसकी मान्यता स्थायी रूप से रद्द की जा सकती है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि पत्रकारों की मान्यता के लिये संशोधित दिशानिर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार ऐसा करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जायेगी और दूसरी बार ऐसा करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिये निलंबित की जायेगी.
इसके अनुसार, तीसरी बार उल्लंघन करते पाये जाने पर पत्रकार( महिला/ पुरूष) की मान्यता स्थायी रूप से रद्द कर दी जायेगी. मंत्रालय ने कहा कि अगर फर्जी खबर के मामले प्रिंट मीडिया से संबद्ध हैं तो इसकी कोई भी शिकायत भारतीय प्रेस परिषद( पीसीआई) को भेजी जायेगी और अगर यह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संबद्ध पाया जाता है तो शिकायत न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन( एनबीए) को भेजी जायेगी ताकि यह निर्धारित हो सके कि खबर फर्जी है या नहीं. मंत्रालय ने कहा कि इन एजेंसियों को15 दिन के अंदर खबर के फर्जी होने का निर्धारण करना हो सकता हैं ।
आपको बता दें कि जनवरी 2018 में आई खबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रेस की बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी ‘पूर्ण’ होनी चाहिए और ‘कुछ गलत रिपोर्टिंग’ होने पर मीडिया को मानहानि के लिये नहीं पकड़ा जाना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने एक पत्रकार और मीडिया हाउस के खिलाफ मानहानि की शिकायत निरस्त करने के पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुये कीं.
पीठ ने कहा, ‘लोकतंत्र में, आपको (याचिकाकर्ता) सहनशीलता सीखनी चाहिए. किसी कथित घोटाले की रिपोर्टिंग करते समय उत्साह में कुछ गलती हो सकती है. परंतु हमें प्रेस को पूरी तरह से बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी देनी चाहिए. कुछ गलत रिपोर्टिंग हो सकती है. इसके लिये उसे मानहानि के शिकंजे में नहीं घेरना चाहिए.’
कथित घोटाले की गलत रिपोर्टिंग में मानहानि का केस नहीं बनता
न्यायालय ने मानहानि के बारे में दंण्डात्मक कानून को सही ठहराने संबंधी अपने पहले के फैसले का जिक्र करते हुये कहा कि यह प्रावधान भले ही सांविधानिक हो परंतु किसी घोटाने के बारे में कथित गलत रिपोर्टिंग मानहानि का अपराध नहीं बनती है.
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इस मामले में एक महिला ने एक खबर की गलत रिपोर्टिंग प्रसारित करने के लिये एक पत्रकार के खिलाफ निजी मानहानि की शिकायत निरस्त करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी. महिला का कहना था कि गलत रिपोर्टिग से उसका और उसके परिवार के सदस्यों की बदनामी हुयी है.
यह मामला बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण द्वारा बिहिया औद्योगिक क्षेत्र में इस महिला को खाद्य प्रसंस्करण इकाई लगाने के लिये भूमि आबंटन में कथित अनियमित्ताओं के बारे में अप्रैल 2010 में प्रसारित खबर को लेकर था.
आधार डेटा लीक मामले की रिपोर्टिंग करने पर सरकार ने किया केस
हाल ही में आधार डेटा में कथित सेंध की खबर प्रकाशित करने पर सरकार ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. हालांकि इस मामले में सरकार की ओर से पेश की गई सफाई में कहा गया है कि यह प्राथमिकी ‘अज्ञात’ आरोपियों के खिलाफ की गई है. इसके साथ ही सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है.
दिल्ली पुलिस ने ही पुष्टि की कि उसने यूआईडीएआई की शिकायत पर इस मामले में पांच जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की. विधि व आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इस मुद्दे पर सरकार का रुख स्पष्ट करने के लिए सोशल मीडिया वेबसाइट ट्वीटर का सहारा लिया.
(इनपुट भाषा से)
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