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ब्रॉड गेज बनने के एक दशक बाद भी यात्री ट्रेनों के लिए तरसता जालोर....दिनभर बस मालगाड़ियां दौड़ती है।

ब्रॉड गेज बनने के एक दशक बाद भी यात्री ट्रेनों के लिए तरसता जालोर....दिनभर बस मालगाड़ियां दौड़ती है।

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ब्राडगेज लाइन का काम पूरा हुए 10 साल का समय बीतने के बाद भी जालोर से दिल्ली, जयपुर, मुंबई व बेंगलुरु सहित बड़े शहरों में जाने के लिए प्रतिदिन यात्री गाड़ी नहीं है. इन 10 सालों में भाजपा के सांसद देवजी पटेल ने कई बार लोगों को आश्वासन भी दिए की साउथ की कनेक्टिविटी के लिए ट्रेन शुरू करवाई जाएगी, लेकिन एक भी ट्रेन लंबी दूरी के लिए नियमित नहीं है.


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जालोर. मीटर गेज से ब्रॉड गेज हुए समदड़ी भीलड़ी रेल खंड पर यात्री गाड़ियों का सपना 10 साल से अधूरा है. 28 अक्टूबर 2010 को पहली बार इस ट्रैक पर ब्रॉड गेज का काम पूरा होने के बाद जोधपुर गांधी धाम ट्रेन का संचालन शुरू हुआ. तो ऐसी संभावना जताई गई की समय के साथ इस रूट पर लंबी दूरी की ट्रेनें जरूर चलेगी. मीटर गेज के समय चल रही ट्रेनों को भी चलाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका ।

हालात आज ऐसे है की ब्रॉड गेज लाइन का काम पूरा हुए 10 साल का समय बीतने के बाद भी जालोर से दिल्ली, जयपुर, मुंबई व बेंगलुरु सहित बड़े शहरों में जाने के लिए प्रतिदिन यात्री गाड़ी नहीं है. इन 10 सालों में भाजपा के सांसद देवजी पटेल ने कई बार लोगों को आश्वासन भी दिए की साउथ की कनेक्टिविटी के लिए ट्रेन शुरू करवाई जाएगी, लेकिन एक भी ट्रेन लंबी दूरी के लिए नियमित नहीं है. अभी कुछ माह पहले जोधपुर से भगत की कोठी से मुम्बई के बांद्रा तक नई ट्रेन शुरू हुई है, लेकिन वह भी सप्ताह में 2 दिन के लिए चलती है. ऐसे में आवागमन करने वाले लोगों को प्रतिदिन के लिए कोई ट्रेन नहीं मिलती है. जिसके चलते लोग परेशान हो रहे है.

ग्रेनाइट मंडी के नाम से विख्यात है जालोर, ट्रेनों की कनेक्टिविटी नहीं होने से पिछड़ रहा है उद्योग
देश के विभिन्न शहरों से जालोर के लिए आने-जाने के लिए ट्रेनों की कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण जालोर का ग्रेनाइट का उघोग पिछड़ता जा रहा है. अगर देश के अन्य बड़े शहरों से सीधे जालोर आवाजाही के साधन होते तो ग्रेनाइट का उघोग ज्यादा विकसित हो सकता था. ग्रेनाइट एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि एशिया की सबसे बड़ी ग्रेनाइट मंडी जालोर है. लेकिन, कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण देश या विदेश के व्यापारी जालोर तक नहीं आ पाते है. जबकि किशनगढ़ को इतना विकसित कर दिया कि एयरपोर्ट की सुविधा है, ट्रेनों का संचालन होता है और देश के हर बड़े शहरों से किशनगढ़ जुड़ा हुआ है. जिसके कारण वहां का उद्योग विकसित है. जालोर की अन्य बड़े शहरों से कनेक्टिविटी नहीं होने के कारण जालोर शहर की 1500 इकाइयां आज बन्द होने के कगार पर पहुंच गई है.

एक दशक बाद भी यात्री ट्रेनों के लिए तरसता जालोर

दिनभर दौड़ती है इस ट्रैक पर मालगाड़ियां
समदड़ी भीलड़ी रेलवे ट्रेक पर पैसेंजर गाड़ी एक चलती है. जो पालनपुर से जोधपुर तक चलती है. जबकि दिनभर माल गाड़िया चलती रहती है. पिछले विधानसभा चुनावों में जालोर में सभा को सम्बोधित करते कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी भाजपा पर तंज कसते हुए कहा था कि यह रेलवे ट्रैक अम्बानी अडानी के लिए बनाया गया है. जिसके कारण दिनभर उनकी मालगाड़ियां दौड़ती है, लेकिन केंद्र सरकार सवारी गाड़ी नियमित नहीं शुरू कर सकी.

ट्रैक के यह है हालात
223.44 किमी लम्बे इस ट्रैक पर नियमित यात्री गाड़ियों का संचालन ना के बराबर हो रहा है. लेकिन प्रतिदिन 24 घण्टों में 45 मालगाड़ियों का संचालन हो रहा है. इस ट्रैक पर 2 नियमित लोकल ट्रेन है. वहीं 1 सुपर फास्ट ट्रेन है. लेकिन, उसका एक भी फेरा नहीं बढ़ा है. 1 ट्रेन अहमदाबाद के लिए है. लेकिन, सप्ताह में एक दिन चलती है. इसके अलावा एक ट्रेन अभी लोकसभा चुनावों के पहले शुरू हुई है. जो सप्ताह में 2 दिन चलती है. जो जोधपुर के भगत की कोठी से मुम्बई के बांद्रा तक जाती है.

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