
विश्वविख्यात है भीनमाल का वराहश्याम मंदिर
जालोर /भीनमाल । (जगमाल सिंह राजपुरोहित) |
आठ फीट लंबी और तीन फीट चौड़ी है भगवान वराह की मूर्ति, मूर्ति इतनी भव्य और कलात्मक है कि प्रत्यक्ष रूप से गंभीर प्रतीत होती है मेदिनी मंदिर की घटना
जालोर जिले के भीनमाल में वराहश्याम का मंदिर अति प्राचीन और देश के चुनिंदा मंदिरों में से एक है। यह मंदिर करीब 600 साल पुराना है। मंदिर में स्थापित वराहश्याम भगवान की मूर्ति के पीले वस्त्र से निर्मित है। जो आठ फीट लंबा और तीन फीट चौड़ा है। मूर्ति का आकर्षण श्रेया भुजा में मेदिनी को धारण किया गया। उनके स्टेज के पास नाग-नागिन का दोस्त है। फ़्रैंचाइज़ी का ऊपरी हिस्सा मानव शीर्षकों में है। इनके पास इंद्राणी और नारद की प्रतिमाएं भी हैं। मूर्ति इतनी भव्य और कलात्मक है कि मेदिनी मंदिर की घटना प्रत्यक्ष रूप से घटती हुई दिखाई देती है। मंदिर में लंबे समय से शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज के लोग पूजा करते हैं। भगवान वराह के चरण पाताल लोक या नाग लोक में और सिर अंतरिक्ष में जहां बीच पृथ्वी स्थित है। इसी कक्ष में वराह की अन्य लघु मूर्तियां भी बनी हुई हैं। इस कक्ष में बहार की दीवार में भगवान सूर्य की पारसी पूजा पद्धति की मूर्ति लगी है जो आकर्षक लगी है हुआ है. यह एक बेहद दुर्लभ मूर्ति है जो ईसा की पहली-दूसरी शताब्दी के आस-पास क्षेत्र के पश्चिम एशिया के सबसे आखिरी संपकों की कहानी बताती है। मुख्य कक्ष के बाहर भगवान वराहश्याम की ठीक सामने वाली दीवार में संतवी से लेकर शताब्दी के बीच कई दुर्लभ मूर्तियां लगी हुई हैं। जिनमें गणेश भगवान, शिव भगवान, राधाकृष्ण और वराह भगवान शामिल हैं। मंदिर की अन्य दीवारों पर भीनमाल क्षेत्र के आस-पास से अत्यंत प्राचीन मूर्तियां स्थापित की गई हैं। जिनमें शेषशायी विष्णु, चक्रधारी विष्णु, यक्ष और देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। किसी समय भीनमाल में जगत् संग्रहालय सूर्य मंदिर स्थित था। जिसे जगत स्वामी मंदिर कहा जाता था। यह मंदिर अब नहीं है उस मंदिर से संबंधित दुर्लभ मूर्तियां और लेख वराहश्याम, चंडीनाथ मंदिर और महालक्ष्मी मंदिर में रखे गए हैं। राधाकृष्ण और वराह भगवान शामिल हैं। मंदिर की अन्य दीवारों पर भीनमाल क्षेत्र के आस-पास से अत्यंत प्राचीन मूर्तियां स्थापित की गई हैं। जिनमें शेषशायी विष्णु, चक्रधारी विष्णु, यक्ष और देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। किसी समय भीनमाल में जगत् संग्रहालय सूर्य मंदिर स्थित था। जिसे जगत स्वामी मंदिर कहा जाता था। यह मंदिर अब नहीं है उस मंदिर से संबंधित दुर्लभ मूर्तियां और लेख वराहश्याम, चंडीनाथ मंदिर और महालक्ष्मी मंदिर में रखे गए हैं। राधाकृष्ण और वराह भगवान शामिल हैं। मंदिर की अन्य दीवारों पर भीनमाल क्षेत्र के आस-पास से अत्यंत प्राचीन मूर्तियां स्थापित की गई हैं। जिनमें शेषशायी विष्णु, चक्रधारी विष्णु, यक्ष और देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। किसी समय भीनमाल में जगत् संग्रहालय सूर्य मंदिर स्थित था। जिसे जगत स्वामी मंदिर कहा जाता था। यह मंदिर अब नहीं है उस मंदिर से संबंधित दुर्लभ मूर्तियां और लेख वराहश्याम, चंडीनाथ मंदिर और महालक्ष्मी मंदिर में रखे गए हैं।
विष्णु के अवतार भगवान वराहश्याम
विष्णु भगवान के दशावतार में से एक अवतार वराह अवतार है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने पाताल लोक में धंसी हुई पृथ्वी का पता लगाने के लिए वराह (शुक्र) का रूप धारण किया था। भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप नामक देवता को मार कर पृथ्वी को अपने दाँतों पर पाताल लोक से बहार लेकर आये थे। यह घटना ऋषि ग्रंथ व पुराणों में वर्णित है।
आठ फीट की मूर्ति के मंदिर के बाहरी खिड़की से होते हैं पूरे दर्शन
वराहश्याम मंदिर के बाहर मुख्य सड़क पर मूर्ति के सीध में एक खिड़की लगी हुई है। खिड़की से देखने पर आठ फीट लंबी और तीन फीट ऊंची मूर्ति के पूरे दर्शन होते हैं। शहरवासी आते-जाते मंदिर के बाहर से भी दर्शन कर सकते हैं।
मेलों का आयोजन होता है, मंदिर में अन्नकूट का आयोजन होता है जिसमें विशेष
वराह जयंती को लेकर हर वर्ष मेले और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ट्रस्ट की ओर से देवझूलानी, गणेश चतुर्थी, कृष्ण जन्माष्टमी और अन्य विशेष दिनों पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को भगवान वराहश्याम का अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। अन्नकूट ब्लॉग में 32 भोजन और 33 सागा के व्यंजन का उपयोग किया जाता है।
शाक्यद्वीपीय ब्राह्मण मंदिर में होती है पूजा
विश्व भर में इतनी बड़ी वराहश्याम भगवान की मूर्ति कहीं नहीं, जो भीनमाल के मंदिर में स्थापित है। यहां रोजाना शहर और आस-पास से लोग भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज के लोग पूजा करते हैं।
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