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बैनर की इतनी बड़ी प्रतिष्ठा कि संवाददाता के निधन की दो लाइन प्रकाशित नहीं कर सकी पत्रिका… आइये मिलकर श्रवण के परिवार की मदद करें…

बैनर की इतनी बड़ी प्रतिष्ठा कि संवाददाता के निधन की दो लाइन प्रकाशित नहीं कर सकी पत्रिका… आइये मिलकर श्रवण के परिवार की मदद करें…

मोदरान न्यूज  @ जालोर
कुछ दिनों पहले 11 दिसम्बर को नेहड़ क्षेत्र के हाड़ेचा इलाके में हाड़ेचा से राजस्थान पत्रिका के संवाददाता श्रवण जांगू की दुर्घटना हो गई थी, जिसमें गम्भीर घायल श्रवण का उपचार के दौरान बुधवार 18 दिसम्बर को जोधपुर एमडीएम अस्पताल में दम टूट गया था। घटना जिस स्थान पर हुई, उसको लेकर सवाल खड़े हो रहे है। लोगों ने सड़क निर्माण में लापरवाही का आरोप भी लगाया है। जिसकी उचित जांच होने के बाद ही वास्तविकता सामने आ सकती है। लोगों को उम्मीद थी कि श्रवण जिस अखबार के लिए संवाददाता के रूप में काम करता था, कम से कम वह तो इस पड़ताल में उसका सहयोगी बनेगा, लेकिन इस प्रतिष्ठित अखबार ने अपनी प्रतिष्ठा को देखते हुए घटनास्थल की पड़ताल तो दूर की बात श्रवण के दुर्घटना और निधन की खबर भी प्रकाशित तक नहीं की। लिहाज अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि कमजोर और पीड़ितों की आवाज बनने वाले संवाददाताओं को प्रतिष्ठित बैनर बताने वाले अखबार कितना साथ देते है। एक समय था जब राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी अपने एडिशन की नींव व उदघाटन कार्यक्रम तक कंपनी के न्यूनतम स्तर के कर्मचारी ( संवाददाता, हॉकर, एजेंट) से करवाना पसन्द करते थे। इसका उदाहरण पाली एडिशन का कार्यालय भी है, जिसकी नींव एक हॉकर के हाथों रखी गई थी, लेकिन अब नौसिखियों के हाथों चल रही राजस्थान पत्रिका आदर्श मूल्य खोती जा रही है। लिहाजा एक दशक तक काम करने वाले संवाददाता की दो लाइन की खबर तक प्रकाशित करना उचित नहीं समझी। अब यह मनमानी रही या चूक हुई यह प्रभारी ही जान सकते है। खैर आइये हम मिलकर श्रवण जांगू के परिवार की मदद का हिस्सा बने।

sarwan jangu

आओ श्रवण के परिवार को सम्बल दे
नेहड़ क्षेत्र के हाड़ेचा निवासी के एडवोकेट श्रवण कुमार बिश्नोई जिनका सड़क हादसे में दिनांक 18 नवम्बर 2019 को निधन हो गया। कम उम्र में परिवार को बीच मे छोड़ कर चले जाना असहनीय है। पत्रकारिता के क्षेत्र में लोगो की आवाज बनकर लोगो के दिल मे जगह तो बना ली किन्तु परिवार के लिये कुछ नही कर पाए, 38 साल की उम्र में 15 साल पत्रकारिता में निकल गए वक्त बीत गया पता ही नही चला 10 साल की मासूम बिटिया का पापा के बगैर रो रो कर बुरा हाल है 12 साल के बेटे की मासूम सिसकियाँ दिल को रोने पर मजबूर कर देती हैं माँ की पुकार बेटा एक बार वापिस आ जा , बेसुध पत्नी की तड़पन झकझोर रही हैं। खैर जो मालिक को जो भी मंजूर हो उसके आगे किसी का वश नही चलता । परिवार का इकलौता कमाने वाला वारिश दुनिया को अलविदा कहकर चला गया। ऐसे में हम सभी का दायित्व हैं कि संकट की घड़ी में बिपदा में घिरे परिवार उन मासूम बच्चों का भविष्य के लिए सहयोग राशि के लिए निवेदन हैं कि आप से जो भी बन पड़े इस परिवार को दे ताकि इनके परिवार को सम्बल मिल सके। अपना एक एक अंशदान इस परिवार की तकदीर का सहारा बनेगा। आओ इस मानवता के महान कार्य मे अपना अंशदान देकर अपना सहयोग दे। 
श्रवण के पत्नी के 

खाता सख्या
तीजा देवी पत्नी श्रवण कुमार

 61089659625 

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