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बैंकों की भारी भरकम चार्जेज वसुल कर ग्राहकों के लुटने के बावजूद भी नहीं मिल रही आवश्यक सेवाएं ।


बैंको के भारी भरकम चार्जेज वसूल कर ग्राहकों को लूटने के बावजूद भी नही मिल रही ग्राहकों को आवश्यक सेवाएं
जब से डिजिटल इंडिया का नारा ओर सरकारी सहायता या सब्सिडी को सीधे उपभोक्ता के खाते में भेजने की शुरुआत हुई है तभी से आम आदमी को भी बैंक में खाता खुलवाना अनिवार्य हो गया है ।
खाता खुलवाने से आम आदमी पर बैंक के बे सिर पैर के कानून ओर नियमो से भी वास्ता पड़ा है । बैंको द्वारा विभिन्न प्रकार के भारी भरकम चार्जेज , पेनल्टी, जुर्माना, पास बुक, एस एम एस, चेक बुक, मिनिमम बेलेन्स, आदि आदि सेवाओ पर कई चार्जेज भुगतने पड़ रहे है ।
लेकिन इन सब के बावजूद भी आम आदमी जब बैंक जाता है तो उसे वहां पर भटकना पड़ता है, पास बुक में एंट्री के लिए लंबी लंबी लाइनों में खड़ा रहना पडता है, पास बुक एंट्री की मशीनों के थोड़े थोड़े समय के अंतराल में बार बार खराब होने पर लंबे समय तक ठीक नही कराई जाती है, और आम उपभोक्ता को एंट्री के लिए लाइनों में समय खराब करना पड़ता है, कई बैंक तो पास बुक देती ही नही है, ओर स्टेटमेंट के चार्जेज भी वसूल करती है, एक व्यापारी तो यह चार्जेज दे सकता है लेकिन आम आदमी यह चार्जेज कैसे दे जिसका कोई ज्यादा लेन देंन भी नही होता । मिनिमम बेलेन्स के नाम पर आम आदमी का अरबो खरबो रुपया बैंको में ब्लॉक हो गया जिसका वो उपयोग नही कर सकता, ओर यदि जरूरत पड़ने पर उसमे से उसने पैसा निकाला और मिनिमम बेलेन्स कम हुवा तो भारी भरकम चार्जेज काट लिए जाते है जो कि 500 रुपये से ज्यादा भी हो सकते है । बैंको की यह कैसी नाइन्साफी ओर दादागिरी है जिसमे अपने खुद के पैसों के बैंक में जमा रहने और उनमें से जरूरत पर निकालने के कारण मिनिमम बेलेन्स के नाम पर जेब कटवानी पड़ती है । इस सब के बावजूद बेंक कर्मचारीयो द्वारा अशोभनीय व्यवहार किया जाता हे सीधे मुंह बात तक नहीं की जाती हे एक आम आदमी जिसका बेंक में बहुत कम काम पड़ता हे उसको एसी पीड़ा से आये दिन रूबरू होना पड़ता हे | कई बेंको में तो शाखा पहली मंजिल पर चल रही हे जिस कारण बुजुर्ग, विकलांग और असहाय खाता धारको को काफी परेशानी होती हे | देखे वीडियो :-
https://www.youtube.com/watch?v=EXzbV9-nIEQ
बैंको की मनमानी का आलम यह है कि मोबाइल SMS के लिए चार्जेज लेने के बाद भी मोबाइल पर एस एम एस भी समय पर नही आते है और उसमें भी बैंको द्वारा 5000 से कम ट्रांजेक्शन का मैसेज नही भेजा जाता है, ओर इस कारण बैंको द्वारा जब भी कुछ रुपयों का कोई चार्जेज काटा जाता है तो उपभोक्ता को समय पर मालूम ही नही पड़ता है, आम आदमी जिसका बैंको में लेन देन का काम कम ही पड़ता है उसको तो कई बार तीन चार माह बाद बैंक जाता है तब पता चलता है, तो उसकि परेशानी शुरू हो जाती है और शिकायत करने पर बैंक वाले कहते है की इतने दिन क्यो नही आये ।
बैंको द्वारा आम उपभोक्ताओ पर यह नाजायज रूप से नियमो की आड़ में लूटने का खेल सरकार और रिजर्व बैंक की मिली भगति से खेला जा रहा है । जिसमे आम आदमी को बैंकों द्वारा खुले आम लुटा जा रहा है । जुर्माने के नाम पर भारी भरकम चार्ज की आड़ में आम उपभोक्ता लूटने को मजबूर है ।
होना तो यह चाहिए कि बैंको के खातों में आम उपभोक्ताओं ओर व्यापारियों के लिए अलग नियम होने चाहिए , ओर उनमे भी वार्षिक लेनदेन की सीमा निर्धारित कर आम आदमी को ओर राहत देनी चाहिए, जैसे आम आदमी को वर्ष में 5 लाख रुपए तक जमा करवाने ओर 5 लाख रुपये तक निकलवाने वाले खातों को मिनिमम बेलेन्स ओर अन्य सभी चार्जेज से मुक्त रखा जाना चाहिए और 5 लाख से 25 लाख तक लेन देन वाले खातों के लिए अलग चार्जेज, ओर 25 लाख से 1 करोड़ वाले खातों के लिए अलग चार्जेज की व्यवस्था होनी चाहिए ।
यदि सरकार आम बैंक उपभोक्ताओं को इस प्रकार की राहत दिला सके तो आम आदमी का बैंको के प्रति लगाव पनपेगा ओर आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी ।
हेमेन्द्र सोनी @ BDN जिला ब्यावर

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