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जालोर मे राजपुरोहित समाज बालिका संस्कार सम्मेलन का आयोजन

जालोर से जगमालसिंह राजपुरोहित  मोदरान की रिपोर्ट के अनुसार 





जालोर । शहर मे स्थित स्वामी आत्मानंदजी गुरु मंदिर  में रविवार को राजपुरोहित समाज का बालिका संस्कार सम्मेलन वेदांताचार्य डॉ . ध्यानारामजी  महाराज के सान्निध्य में आयोजित हुआ । 
सम्मेलन में 25 गावो से 486 बालिकाओं ने भाग लिया । ब्रह्मधाम आसोतरा से नवीन पीढ़ी को संस्कारवान और चरित्रवान बनाने के वृहद अभियान की कड़ी में आयोजित शिविर में वेदांताचार्य डॉ . ध्यानाराम महाराज ने बालिकाओं को आचार विचार और व्यवहार के बारे में मार्गदर्शन प्रदान किया । 



उन्होंने संस्कारविहीन शिक्षा के महत्व को शून्य बताते हुए कहा कि वर्तमान समय की अनेकोनेक समस्याओं के मूल में मूल्य और आदर्श विहीन शिक्षा है । जब तक समाज का नैतिक स्तर सुदृढ़ नहीं होगा तब तक समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करना सम्भव नहीं है । उन्होंने कहा कि समाज को सद्मार्ग पर प्रशस्त करना संत समाज का उत्तरदायित्व है और सभी संतों से इसके लिए वृहद जागृति अभियान चलाने का आह्वान किया ।
इस अवसर पर  डॉ वेदांताचार्य ध्यानारामजी,  दंडीस्वामी देवानंदजी महाराज, शिविर जिला संयोजक लक्ष्मण सिंह भागली सिन्धलां, शिविर संयोजक गोपालसिंह  सांकरणा,  शिविर सह संयोजक कपूर सिंह भागली पुरोहितान,  ट्रस्ट महामंत्री नैन सिंह , सदस्य गोपाल सिंह सांकरणा
महेंद्र सिंह शंखवाली कैलाश सिंह सांकरणा,  हनुमान सिंह बिठू,  नाहर सिंह रायथल , नारायणसिंह,  जितेंद्रसिंह अगवरी , कल्याण सिंह कुंडली,  सुरेंद्र सिंह  नोरवा,  गणपत सिंह, प्रियंका उण,  दीपिका सांकरणा , डिम्पल भागली , जबर सिंह,  अरविन्द सिंह , जुहार सिंह शंखवाली,  प्रकाशसिंह,  मनीषसिंह,  सांकरणा  , नरपतसिंह बिछावाड़ी , ललित सिंह खीचंन सत्तुसिंह रियांबड़ी , लाल सिंघ गोविंदलाव , बलदेवसिंह सांथू, अशोकसिंह रायथल , दिनेशसिंह,  प्रवीणसिंह हरजी,  लीला कँवर  नोरवा,  जबरसिंह  उण, भोपाल सिह  गोविंदलाव, नारायण सिंह  सांकरणा, महिपाल सिंह  सांकरणा सरपंच , गोरधनसिंह भागली, भलसिंह भागली, एवं अन्य सैकडो  बुजुर्ग माताए बहिने  मौजूद रही। 


इस सम्लिमेलन बालिका शिविर मे  486  बालीका 25गावो से आई।भामाशाह तूफान सिंह  सांकरणा , नारायण सिंह  सांकरणा , चंपालाल  सांकरणा , उम्मेद सिंह सांकरणा,  सत्यदेव सिंह कालूड़ी,महिपाल सिंह सांकरणा सत्तुराज रियांबड़ी सहित कई समाज बंधु मौजुद रहे।


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