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कई वर्षों से स्थायी ट्रेनों की मांग, फिर भी स्पेशल ट्रेनों के सहारे परेशानी झेल रहे जालोर जिले के लाखों यात्री

कई वर्षों से स्थायी ट्रेनों की मांग, फिर भी स्पेशल ट्रेनों के सहारे परेशानी झेल रहे जालोर जिले के लाखों यात्री


जगमालसिंह राजपुरोहित मोदरान। 
जालोर, सिरोही और बाड़मेर के हजारों प्रवासियों को रोजगार के लिए चैन्नई, हैदराबाद, कोईम्बटुर, दिल्ली और दक्षिण भारत जाना पड़ता है। त्योहारों और शादी-विवाह के सीजन में ट्रेनों में सीट मिलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यहां से बड़े शहरों के लिए ट्रेन की मांग लगातार होती है। लेकिन न रेल प्रशासन कोई ध्यान दें रहा ना ही केंद्र सरकार व रेल मंत्रालय जिस कारण लाखों प्रवासीयों व यात्रियों में रेल प्रशासन व केंद्र सरकार के प्रति भारी रोष व्याप्त है।
file photo 
- जालोर-बाड़मेर जिले के यात्री लम्बी दूरी की स्थायी ट्रेनों की मांग कर रहे हैं।
- रेलवे का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार, फिर भी स्थायी ट्रेनें नहीं।
- त्योहारों में अस्थायी ट्रेनों से यात्रियों को परेशानी होती है।

मोदरान । जालोर जिले के यात्रियों की सालों पुरानी मांग है कि चैन्नई , हैदराबाद, कोईम्बटुर, बैंगलुरू,दिल्ली और दक्षिण भारत के अन्य शहरों के लिए स्थायी ट्रेनों का संचालन हो। जालोर,बाड़मेर और सिरोही जिलों के यात्रियों के साथ-साथ दक्षिण भारत में रहने वाले प्रवासी भी इस मांग को लगातार उठा रहे हैं। लेकिन अब तक सिर्फ नाम मात्र की इक्का-दुक्का अस्थायी स्पेशल ट्रेनों से ही काम चलाया जा रहा है।

समदड़ी-जालोर-भीलड़ी रूट पर रेल विस्तार का लंबा इंतजार
साल 2006 में समदड़ी-जालोर-भीलड़ी रूट के मीटरगेज से ब्राडगेज के आमान परिवर्तन का कार्य शुरू किया गया था, जो 2009 में पूरा हुआ और ब्रॉडगेज ट्रैक पर ट्रेनें चलाई गईं। उस समय उम्मीद जताई गई थी कि अब इस रूट पर ट्रेनों का विस्तार किया जाएगा। इसके बाद कहा गया कि जब इस रूट का इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा होगा, तब सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी. 17 सितंबर 2024 को इस रूट पर इलेक्ट्रिक ट्रेन सेवा शुरू भी कर दी गई, लेकिन यात्रियों को स्थायी ट्रेनों की सौगात अब तक नहीं मिल सकी है जिस कारण लाखों प्रवासी बन्धुओं में रेल प्रशासन व केंद्र सरकार के ईस रवैय से नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए भारी रोष व्याप्त है।

स्थायी ट्रेनों के लिए जालोर जिले के कई सांसद भी कर चुके हैं मांग
जालोर-सिरोही के पुर्व सांसद देवजी एम. पटेल और वर्तमान सांसद लुम्बाराम चौधरी कई बार रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात कर चुके हैं। लेकिन अब तक सिर्फ नाम मात्र की इक्का-दुक्का स्पेशल ट्रेनों का संचालन ही किया जा रहा है। जबकि रेल मंत्री का पैतृक गांव भी पाली जिले के मारवाड़ क्षेत्र में ही स्थित है। ऐसे में स्थानीय यात्रियों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि जब सांसद और सरकार दोनों एक ही दल के हैं, तो फिर जालोर और बाड़मेर जिले को आजादी के 78 साल बाद भी बाड़मेर से चैन्नई हैदराबाद कोईम्बटुर की व बाड़मेर से अहमदाबाद नियमित रूप से पैसेंजर स्थायी ट्रेन की सुविधा क्यों नहीं मिल रही है।

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