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जहरी मोरा के पत्थर से मुर्ति कहा पर है और इतना सुंदर मंदिर कहाँ पर स्थित हैं जालौर मे।

जहरी मोरा के पत्थर से मुर्ति कहा पर है और इतना सुंदर मंदिर कहाँ पर स्थित हैं जालौर मे।



राठौड़ वंश के इष्टदेव जलन्धरनाथ महादेव ~ कुलदेवी नागणेच्यां नमः "या देवी सर्वे भूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।                           नमस्तस्यै , नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै ,नमौ नमः।। राखेश्वरी वलस्थान , राठेश्वरी रठः। पंखीणी मंत्रिणी, नागणेच्यां माँ नमस्तुते।                         माँ नागणेश्वरी देवी की प्राचीन  मुर्ति 17 (१७) वीं सदीं। मैं महाराजा श्री गजसिंह जी प्रथम जोधपुर मारवाड़ के समवर्ती हाकिम श्री जयमलजी मोहणोत ने भँवर गुफा                                                         
में स्थापित करवाई। यहाँ मुर्ति कर्नाटक के काले प्रस्तर जहरी मोरा की बनी हुई हैं।तत्पश्चात श्री 1008 श्री शन्तिनाथ जी महाराज सिरे मंदिर जालौर की प्रेरणा से मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था जिसमें सेठ भैरूमल पुत्र श्री अमृतलालजी जालौर एवं क्षैत्रीय राठौड़ वंशीय वधु सहभागी रहे। शुभ संवत् 1037 ( १०३७ ) मिति आसोज सुदि14(१४) वार बुधवार दिनांक 22अक्टूबर 1180 को श्री शंंतिनाथ जी महाराज के निदैशन मै श्री कैलाशनारायण शर्मा पुत्र श्री कृष्ण जी शर्मा निवासी आहोर ने जन सहयोग से ऊपर के चौक का विस्तार करवाया सन् 1113 दिसंबर माह में राठौड़ वंशीय
क्षत्रियों कि साधारण सभा परम् पुज्य श्री 1008 शंंतिनाथ जी महाराज की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।जिसमें श्री नागणेश्वरी माताजी मंदिर विकास समिति के कार्यकारिणी का गठन किया गया।क्षेत्रीय राठौड़ वंशी बन्धुओं से सहयोग लेकर ऊपर चौक पर हॉल का निर्माण करवाया गया।कालान्तर मैं श्री शन्तिनाथ जी महाराज की आज्ञा से श्री गंगानाथ जी महाराज एवं कार्यकारिणी के सदस्यों के भरसक प्रयास से विशेष दानादाताओ से सहयोग लिया जाकर संगमरमर का भव्य दरवाजा एवं मंदिर का निर्माण करवाया गया।शुभ संवत् 2059 मिति आषाद वदी 8 दिनांक 3जुलाई 2002 वार को श्री शन्तिनाथ जी महाराज एवं हेमलता राजे महारानी साहिबा जोधपुर मारवाड के पावन सानिध्य में प्राचीन एवं नवीन मुर्तिया स्थापित करवाया भव्य प्राण प्रतिष्ठा एवं शत् चण्डी यज्ञ करवाया गया यह मंदिर सिरे मंदिर जालौर के अधीन रहेगा।  

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